भारत के 11 ऐतिहासिक किले की जानकारी 


भारत देश दुन्या के सबसे खूबसूरत किलाओ से सजा हुआ है भारत में सजे इन पुराने ओर विसाल किला हमें राजा महाराओ ओर सम्राटो के जिंदगी को याद दिला ता है इन किलाओ के लोकप्रियता भारत में ही नहीं बालके पुरे दुन्या में प्रसिद्ध है इन किलाओ की बनावट पर्यटको को अपने तरफ मोहित करती है। 


Thirumayam fort, Tamilnadu

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

भारत के तमिलनाडु राज्य में पुदुक्कोट्टई जिले में पुदुक्कोट्टई-कराइकुडी सड़क पर जो की पुदुक्कोट्टई से 18 km दूरी पर 40 अकड़ ज़मीन पर थिरुमयम किला स्तिथ है। किले को स्थानीय रूप से ऊमायन कोट्टई (गूंगा का किला) के रूप में भी जाना जाता है।

इस किले का निर्माण 1687 में राजा रामनाथपुरम के राजा विजय रघुनाथ सेतुपति के द्वारा किया गया था बाद में उस किले को राजा रघुनाथ सेतुपति ने अपने बहनोई रघुनाथ राय टोंडायमन को सौंप दिया था औऱ उन्होंने राजा के सामंती सरदार के रूप में अपना करियर शुरू किया और 1730 तक पुड्डुकोट्टई साम्राज्य पर शासन किया था।

इस किला को मूल रूप से सात संकेंद्रित दीवारों वाला 'रिंग फोर्ट' कहा जाता है , उनमें से केवल चार अब बचे है किले का निर्माण ईंट औऱ छोटे छोटे पथर को मिलाकर किया गया है जो 17वें सदी की परकोटा है जिसे राज्य के राजबँसो की निवास के लिए बनाया गया था जो बिना आधुनिक इंजनीरिंग उपयोग के सदियों से खड़ा है।

2012 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के देख रेख में पुनर्निर्मित किया गया था क्यों के पुदुक्कोट्टई जिले का महत्वपूर्ण यादगार (memorable) जो पर्यटको को आकर्षित करता है।

इस पूरे किले का मुख्य द्वार किले से 1 km दूरी पर है औऱ इस किले पर प्रबेश के लिए 3 द्वार है एक उत्तर पर औऱ एक दाखिण पर औऱ एक पूर्व पर है औऱ हर प्रबेश द्वार पर दो दो तोपें रखी हुई है।

जेल तालाब गुफाएं औऱ मन्दिर इस किले की खूबसूरती को बढाती है शक्ति, गणपति,मानव, करुप्पर किले के संरक्षक देवता है जो समर्पित मंदिर दक्षिणीकी ओर है और भैरव के मंदिर उत्तर की ओर देखे जाते हैं।

इस किले के आधे ऊपर दाही ओर एक कमरा दिखाई दे रहा है जो पत्रिका के रूप में उपयोग किया जाता था इस कमरे के सामने एक पत्थर के चट्टान को काटकर एक कोशिका बनाई गई है जिसमे योनि पर एक लिंग है ऐसा दर्शाया गया है जिसकी टोंटी एक बौने की आकृति द्वारा समर्थित है।

चट्टान के शीर्ष पर ब्रिटिश ओरिजिन की तोप के साथ एक गढ़ है इस चबूतरे के दक्षिण में एक प्राकृतिक तालाब है ओर utter-पश्चिम एक ओर भी तालाब है ओर दाखिण -पूर्ब में एक टैंक भी है दक्षिणी ढलान पर पत्थर को काट कर बनाई हुई दो मंदिर हैं, उनमें से एक श्री सत्यमूर्ति-श्री उय्यवंदा नाचियार को समर्पित है और दूसरा श्री सत्यगिरिश्वर-श्री वेणुवसेश्वरी को समर्पित है।

महान ऐतिहासिक महत्व का किला और पॉलीगर युद्धों में विद्रोही सरदारों का एक महत्वपूर्ण गढ़ था, पंचालंकुरिची सरदार कट्टाबोम्मन के भाई ऊमथुराई को इस किले में कब्जा कर लिया गया था।


 Chitradurga Fort, karnataka

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

चित्रदुर्ग किला दुन्या भर के प्रसिद्ध किलाओं मेसे एक है इसकी विशेषता ओर इसका इतिहास के वजह से दुन्या भर में आज बहत लोकाप्रिया है।

चित्रदुर्ग किले का निर्माण की शुरुआत चालुक्य और होयसला द्वारा किया गया था इस किले का निर्माण 11वीं से लेकर 13 वीं शताब्दी के बिच में किया गया था बाद में 15 से 18 शताब्दी के बीच में चित्रदुर्ग के मुखियाँ द्वारा बिस्तार किया गया था।

इस किले को अंग्रेज शासन काल समय चीतलदुर्ग कहा जाता था बाद में इसका नाम चित्रकलदुर्ग जिसका अर्थ सुरम्य किला है यह किला भारत के कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्ग जिले में वेदवती नदी के घाटी के बेच कई पहाड़ो जो की 976 मीटर की ऊचाई के चट्टान के चोटी पर फेला हुआ है चित्रदुर्ग किला कुल 1500 एकर खेत्र पर फेला हुआ है।

1779 में हैदर अली ने इस किले को कब्ज़ा करलिया था 20 साल बाद अंग्रेज ने 1799 में टीपू सुल्तान को (हैदर अली के बेटे) चौथे मैसूर युद्ध में हरा कर फिरसे कब्ज़ा करलिया मैसूर साम्राज्य को वोडेयार के तहत पुनर्गठित किया गया था। चित्रदुर्ग मैसूर प्रांत का हिस्सा बन गया।

इस किले में 19 प्रबेश द्वार 38 पीछे के द्वार 35 गुप्त प्रबेश द्वार ओर 4 अदृश्य रास्ता 2000 निगरानी टावर ओर पानी के टंकी मौजूद है जोकि इस किले की रक्षा के लिए एक ख़ास बात थी।

इस किले में छोटे ओर बड़े मिलाकर कुल 18 mandir पाई जाती है जिनमे से हिडिंबेश्वर,फाल्गुनेश्वर,एकनाथम्मा और सम्पिगे सिद्धेश्वर प्रसिद्ध मंदिर है।

कुल मिलाकर, इतिहास, वास्तुकला और प्राकृतिक सुंदरता में रुचि रखने वाले किसी भी व्यक्ति के लिए चित्रदुर्ग किला अवश्य जाना चाहिए। किले का समृद्ध इतिहास, आश्चर्यजनक वास्तुकला और लुभावने दृश्य इसे भारत के सबसे अनोखे और आकर्षक पर्यटन स्थलों में से एक बनाते हैं।


Amer fort, Rajasthan

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

राजस्थान की जयपुर सेहर में स्तिथ ऐतिहासिक आमेर किला भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में काफी प्रसिद्ध है जो अरावली की ऊंची पहाड़ियों से घिरा हुआ यह किला राजस्थानी कला और संस्कृति का एक अद्भुत उदाहरण है

इस पूरे किले की बनावट लाल मिट्टी ओर ग्रेनाइट्स से मिलकर बानी हुई है

राजा मान सिंह 1589 में इस किले की नींव रखी थी और फिर उनके उत्तराधिकारी राजा लोग इस किले का विस्तार और नवीनीकरण का काम करवाते रहे जयपुर शहर को बसाने वाले महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय के कार्यकाल में यानी के साल 1727 में यह किला बनकर तैयार हो गया था।

इस किले के चारों ओर 12 km की बाउंड्री वॉल भी बनाई गई थी और आमेर किले से जयगढ़ किले तक जाने के लिए 1.5 किलोमीटर लंबी एक गुप्त सुरंग का निर्माण करवाया गया था यहां की एक एक चीज बहुत ही मजबूती से बनाई गई है।

साल 2013 में कंबोडिया में हुई मीटिंग के दौरान वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी ने आमिर किले को वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कर दिया था यह जयपुर शहर की भीड़ भाड़ से करीब 11 किलोमीटर दूर यह किला आमिर में पड़ता है।

इस किले के अंदर आप को बहत सारे पुराने ओर खूबसूरत चीजे देखने को मिलेंगी जो वास्तब में देखने लायक है। इस किले के अंदर कई पुरानी मंदिर पाई जाती है जिनमे से अंबकेश्वर मंदिर जिसके बारे में कहा जाता है की यह मंदिर 5 हजार साल पुराना मंदिर है इसके इलावा मीरा मंदिर,बद्रीनाथ मंदिर, जैन मंदिर, सुहाग मंदिर, जस मंदिर ओर सुख मंदिर जैसे प्राचीन ओर खूबसूरत कलाकारी से बना हुआ यह मंदिर पाए जाते है।

इस किले के 4 आँगन (courtyard) है जो इस कोले का शान माना जाता है इस किले का सबसे खूबसूरत सिस महल है जो की मार्बल, ग्लास ओर गोल्ड को मिला कर बनाया गया है इसका साथ साथ यहाँ पे आप को सत्ताईस कचेहरी, सैफरन गार्डन, दिल आरामबाग गार्डन,बारादरी इमारत जैसे कई अनमोल चीजें देखने को मिलेंगी।


Raigad Fort, Maharashtra

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

रायगड किला एक ऐतिहासिक किलाओ मेसे एक है जो मराठा साम्राज्य के पहली राजधानी है छत्र पति शिवाजी ने 1656 को रायरी के पहाड़ को कब्ज़ा करलिया जिसे अब रायगड कहती है ओर इस्पे निर्माण कार्य सुरु किया था ओर 1674 को राज्यअविषेक किया था।

रायगढ़ किला भारत के महाराष्ट्र राज्य के रायगढ़ जिले के महाड कस्बे से पच्चीस किलोमीटर उत्तर में स्थित है समुद्र के पास तुलनात्मक रूप से स्थित होने के कारण महाड़ पहुंच में है और ये मुंबई पुणे और सतारा से समान दूरी पर है।

किले को अलग अलग समय में अलग अलग लोगों द्वारा 15 अलग अलग नामों से बुलाया जाता था रायगढ़, रायरी, इस्लाम गर्ड, नंदी, जमुड़वे, तनाश, राशिवता, शिवलंका, रही और जिब्राल्टर और इस किले पे जाने के लिए केवल एक मार्ग है जबकि दूसरी ओर का भाग हरे रंग में लिपटी हुई गहरी घाटियों से घिरा हुआ है यह किला सह्याद्री पर्वत श्रृंखला में आधार स्तर से 820 मीटर और समुद्र तल से 1,356 मी ऊपर है। किले तक जाने के लिए लगभग 1,737 सीढ़ियाँ हैं। 

रायगढ़ किले में महाद्वार के साथ कई द्वार है जैसे कि नागर चना दरवाजा मैना दरवाजा और पालकी दरवाजा जो के किले और एक राजसी माहौल के मुख्य प्रवेश द्वार है।

दोस्तों रायगढ़ किले का अधिकांश हिस्सा पत्थर ओर सीसा सामग्री को मिला कर किया गया था ओर यहाँ पर आप को देखने लायक बहत से चेसे मिलेंगी जैसे के पचाड़का जीजाबाई महल, खूब लड़ा बुर्ज, नाना दरवाजा, महा दरवाजा, हाथी तलाब, गंगा सागर झील, मीणा दरवाजा राज भवन, राज्यसभा, बाजार ओर राजा की समाधि।


Gwalior fort, Madhya Pradesh

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

दोस्तों ग्वालियर किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर सेहर के पास एक पहाड़ पर स्लगभग 741 acre ज़मीन पर स्तिथि है जो बलुआ पथर ओर चूना नश्वर से मिलकर बानी है।

ग्वालियर किले का निर्माण का सही अबधि अनिश्चित है कहा जाता है 3 सत्ताब्धि में सूरज सेन राजा ने इस किले का निर्माण करवाया था। राजा कुष्ठ रोग से पीड़ित थे ओर ग्वापिला नाम का एक ऋषि ने एक पबित्र तालाब का पानी पिलाया ओर उस चमत्कार से राजा ठीक होगये तो ऋषि के सम्मान में किले का निर्माण करने का फैसला किया था ऐसा कहा जाता है के वो तालाब अभी उसी किले के अंदर स्थित है।

इसके बाद सूरज सेन पाल के कई वंशजों ने किले पर शासन जारी रखा लेकिन उनके 84 वें उत्तराधिकारी तेज करण ने किले पर अधिकार खो दिया।

ग्वालियर का किला 1486 से 1517 शताब्दी के अंदर अस्तित्व में आया जब राजा मन सींग थोमर ने मान मंदिर पैलेस ओर गुजारी महल निर्माण किया।

यह किला पुराना किलाओ मेसे एक है ओर इसके कई अनमोल स्तन नस्ट हों चुके है पर अभी भी वहा पे देखने लायक बहत से चीजें मौजूद है।

ग्वालियर किले में बहत पुराने मंदिर देखने को मिलते है जिनमें से Teli-ka-Mandir, Sas-Bahu mandir, Gopachal Parvat Jaina monuments, Jain mandir ओर Garuda Monument।

मंदिरो के इलावा यहाँपे ओर भी दूसरी खूबसूरत जगह देखने लायक मौजूद है जिसमे से Man mandir palace, Gujari mahal, Karn mahal, Vikram mahal, Chhatri of bhim singh rana, Scindia School, Gurdwara।


Chittorgarh fort, Telangana

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

चित्तोड़गढ़ का किला भारत के राजस्थान राज्य के चित्तोड़ जिला के चित्तोड़ सेहर में स्तिथ है यह किला इतना प्रसिद्ध है के इसे USENCO ने बिश्वा घरोहर घोषित किया है।

कहा जाता है के इस किले का निर्माण का श्रय राजा कुम्भा को जाता है जिन्होंने 1433 से 1468 तक इस किले पर शासन किया था कुम्भा के शासन काल समय में उन्होंने ओर भी 31 किले का निर्माण किया था जिसमे से एक उनके नाम से भी जाना जाता है जिसका नाम था कुम्भलगढ़।

बेचड़ नदी के बाएं किनारे 180 मीटर ऊँची एक पहाड़ पर लगभद 700 acre ज़मीन पर फेला हुआ है यह राजा कुम्भा का किला आज भी गौरवशाली का दृस्य प्रदान करता है।

इस किले में कई ऐतिहासिक संरचनाएँ शामिल है जिसमेसे आपको 100 सेभी ज्यादा मन्दिर देखने को मिलेंगी जिनमेसे 19 बड़े ऐतिहासिक मंदिर है।

इस किले में 7 दरवाजे बनाये गये थे जिसमे से मुख्य दरवाजा सूरजपोल है ओर इसमें कुल 84 पानी के कुंड थे जिसमेसे 20 बड़े कुंड है ओर 4 स्मारक मजूद है ओर साथ ही कुम्भा महल, रतन सिंह पैलेस, वीर भामाशाह की हवेली, रानी का समर पैलेस ओर विंटर पैलेस देखने को मिलेगी।

रानी पद्मावती को पाने के लिए राजा अल्लाउद्दीन खिलीजी ने जब हमला किया था तब रनिंपद्मावती अपनी आना बान सान बचाने के लिए 16000 दासियों के साथ जोहार कुंड में अपने आपको जाला दिया था उस अलाउद्दीन खिलीजी के हमले से इस किले का बहत सा हिस्सा खातीग्रस्त होगया था।


Golkonda fort, Telangana

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

गोलकोंडा किला भारत के तेलंगाना राज्य के हैदराबाद सेहर के पश्चिमी भाग और हुसैन सागर झील से लगभग 9 किमी दूर पर स्तिथ है । बाहरी किला लगभग 700 acre क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसकी लंबाई 4.8 किलोमीटर है।

गोलकुंडा मूल रूप से मानक रूप के रूप में जाना जाता था इस किले को कोंडा पल्ली किले की तर्ज पर अपने पश्चिमी रक्षा हिस्से के रूप में 11वीं शताब्दी में काकटिया द्वारा पहली बार बनाया गया था रानी रुद्रमा देवी और उनके उत्तराधिकारी प्रताप रुद्र द्वारा किले को पुनर्निर्मित और मजबूत किया गया था।

बाद में इस किले पर मिशनरी शासको का आधिपत्य रहा जिन्होंने तुगलकी सेना को पराजित कर वारंगल पर कब्जा किया था इसे 1364 में संधि के हिस्से के रूप में मिशनरी का पे भूपति ने बहमनी सल्तनत को सौंप दिया था बहमनी सल्तनत के तहत गोलकुण्डा धीरे धीरे बढ़ने लगा था तेलंगना के गवर्नर के रूप में भेजे गए Sultan Quli Qutb-ul-Mulk ने इसे 1501 के आसपास अपनी सरकार की सीट के रूप में स्थापित किया इस अवधि के दौरान बहमनी शासन धीरे धीरे कमजोर हो गया और सुल्तान कुली औपचारिक रूप से 1538 में स्वतंत्र हो गए जिन्होंने गोलकुण्डा में कुतुब शाही राजवंश की स्थापना की थी।

मिट्टी से बने इस किले को पहले तीन कुतुबशाही सुल्ताना द्वारा वर्तमान संरचना में ग्रेनाइट द्वारा निर्मित करवाया गया यह किला साल 1590 तक कुतुब शाही राजवंश की राजधानी बना रहा और वर्तमान हैदराबाद के निर्माण तक उनकी राजधानी बना रहा बाद में 1687 में मुगल सम्राट औरंगजेब ने इस पर विजय प्राप्त कर ली।


गोलकोंडा किले के कुछ ख़ास तथ्य 


शुरुआत में मिट्टी से बने इस किले को मुहम्मद शाह और कुतुब शाह के शासनकाल के दौरान विशाल चट्टानों से बनाया गया ग्रेनाइट पहाड़ी पर बना यह किला 120 ऊंचा है इस किले को उत्तरी छोर से मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए बनाया गया था और कौस्टिक इस किले की सबसे बड़ी खासियत है।

इस किले में कुल आठ दरवाजे हैं और इसे पत्थर की तीन मील लंबी मजबूत दीवार से घिरा गया था किले के अंदर बहुत से राजशाही अपार्टमेंट और हॉल मंदिर मस्जिद पत्रिका अस्तबल इत्यादि है जो देखने लायक है।

किले के सबसे निचले हिस्से में एक फते दरवाजा भी है जिसे विजय द्वार कहा जाता है इस दरवाजे के दक्षिणी पूर्वी किनारे पर अनमोल लोहे की कीलें जडी हुई है पूर्व दिशा में बना वाल Bala Hissar Gate गोलकुण्डा का मुख्य द्वार है इसके दरवाजे के किनारों पर बारीकी से कलाकारी की गई है।

किले में दीवारों के तीन लाइनें बनी हुई है यह एक दूसरे के भीतर है और 12 मीटर से भी अधिक ऊंची है किले में बनी अन्य इमारतों में मुख्य रूप से हथियार घर, हब्सी कमानस, ऊँट अस्तबल, तारामती मस्जिद, निजी कक्ष, नगीना बाद, राम सासा का कोठा, मुर्दा स्नानघर, अम्बर खाना और दरबार कक्ष आदि शामिल हैं।

किले के पहले महल के आंगन में खडे होकर ताली बजाएंगे तो इस महल के सबसे ऊपरी जगह से भी सुन पाएंगे जो के मुख्य द्वार से 91 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

किले के अंदर चार शताब्दी पूर्व शाही बाग़ आज भी मौजूद है किले की सबसे ऊपरी भाग में जगदम्बा महाकाली जी का मंदिर हैबल किले से लगभग आधे मील की दूरी पर उत्तरी भाग में कुतुब शाही शासकों के ग्रेनाइट पत्थर से निर्मित मकबरे हैं जो टूटी फूटी अवस्था में आज भी देखे जा सकते हैं।

पूरी दुनिया में प्रसिद्ध इस किले से पुराने जमाने में कई बेशकीमती चीजें जैसे Koh-i-Noor,Nassak Diamond,blue Hope Diamond,Idol's Eye, Daria-i-Noor,Dresden green, ओर Orlov आदि मिली थीं।


        भारत के सबसे खूबसूरत किले 


kangra fort, Himachal Pradesh 

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता का मिश्रण भारत के हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला के पास स्थित एक प्राचीन किला कांगड़ा किला है। यह किला nagarkot, bhim kot के नाम से भी जाना जाता है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनुसार कांगड़ा किला हिमालय क्षेत्र का सबसे बड़ा किला है। ओर भारत का सबसे पुराना किलाओ मेसे एक है यह लगभग 460 acre के क्षेत्र में फैले है ओर यह किला भारत का आठवा सबसे बड़ा किला है।

कहा जाता है के इस किले का निर्माण काटच वंश के राजा सुसर्मा चंद्र ने चौथी सादी को करवाया था यह किला काले पथरो से बना हुआ है।

कहा जाता है इस किले के अंदर बेश कीमती खजाना छुपा हुआ था जिसके कारण इस किले पर अन्य किले के तुलना में सबसे ज्यादा आक्रमण किया गया है इस किले के ऊपर कुल 52 बार हमें हुआ है।

कंगड़ा किले पर सबसे पहले हमला करने वाला कश्मीर के राजा श्रेष्ठ ने 470 इस्वी में किया था बाद में 1000 इस्वी में गजनी के मेहमूद ने इस किले पर हमला किया था कहा जाता है इस किले पर 21 खजाने वाले कुवें है जोकि 4 मीटर गहरी ओर 2.5 मीटर चौड़ी है जिनमे से मेहमून ने 8 कुवें को लुट लिया था ओर 1890 में अंग्रेज सासको द्वारा 5 कुवें लुटे गये थे बाकि के 8 कुवें कहा पे है अभी तक पता चल नहीं पाया है।

महल के आँगन के नीचे अंबिका देवी, लक्ष्मी नारायण और भगवान महावीर के मंदिर हैं। किले में 11 द्वार और 23 गढ़ अभी भी पाए जाते है जब के 1905 के भूमिकंप ने इस किले को काफी ख़ातिग्रस्त किया था ओर लगभग 20,000 लोग मारे गये थे ।


lohagad fort, Maharashtra 

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

दोस्तों लोहागढ़ किले का निर्माता का सही पुस्टि नहीं है। कहा जाता है के 12वीं सदी में राजा भोज ने इस किले का निर्माण करवाया था। यह किला भारत के महाराष्ट्र राज्य में हिल स्टेशन लोनावला के पास स्तिथ है। समुद्री तल से 1033 मीटर ऊँचा किला है।

लोहागढ़ किले का शासक काल बहत रहा है जिसमे कई राजवंसो के अलग अलग समय पर अधिकार किया था। जिसमे से यह कुछ राजा है राष्ट्रकूट, यादव, बहामनिस, निजाम,लोहतमिया, चालुक्य, मुगल और मराठा। शिवाजी महाराज ने 1648 ईस्वी में इस पर कब्जा किए जाने के बाद यह किला बहुत मजबूत और अधिक शक्तिशाली हो गया। लेकिन 1665 ईस्वी में पुरंदर की संधि द्वारा उन्हें इसे मुगलों को सौंपने के लिए मजबूर होना पड़ा।

दोस्तों लोहागढ़ किले का वास्तुकला अत्यंत सुंदर ओर उत्कृष्ट कला की उदाहरण हैं। किले की हरी भरी वादियां हमेशा बसंत ऋतु सा दिखने वाला किला सभी को मोहित करता है।

लोहागढ़ किले में देखने लायक बहुत सी चीजें हैं जिसमें प्रमुख किले के प्रवेश द्वार गणेश दरवाजा, नारायण दरवाजा, हनुमान दरवाजा, और महान दरवाजा आदि चार दरवाजे हैं।

लोहागढ़ में स्थित एक मंदिर लक्ष्मी कोठी, बावन टांके विंचू काटा आदि अत्यंत दर्शनीय है। लोहगढ़ में टूटा हुआ मंदिर भी है इतिहास कहता है कि यह एक राजपूत सेनापति की पत्नी की समाधि है यहीं पास में राज सादर है और मंदिर के ठीक बाहर चूने की भट्टी दिखाई देती है भट्टी के पास ही एक ऊंचा ध्वज स्तंभ खड़ा है स्तंभ के आगे लक्ष्मी कोठी स्थित है लक्ष्मी कोठी एक बड़ी पत्थर में तराशी गई एक गुफा है कहा जाता है कि यहां लॉमस ऋषि ने अपनी तपस्या पूर्ण की थी।

लोहगढ़ किले पर 40 से भी अधिक पानी की टंकियां बनी हुई हैं जिसमें बावन टाके के नाम से जाने जानी वाली टंकी सबसे बड़ी मानी जाती है इसका निर्माण नाना फड़नवीस ने करवाया था इस टंकी पर लगे शिलालेख में भी इस बात की पुष्टि की गई है।

लोहागढ़ किले पर एक लंबी मगर सक्रिय माची बनी हुई है जिसे बिंचू काटा काता कहा जाता है दूर से देखने पर यह बिच्छू के डंक जैसी दिखाई देती है इस कारण इसका नाम भी बिंचू काटा कहते है। यह पर्यटकों का मुख्य आकर्षण केंद्र है क्योंकि यहां से लोहगढ़ लोहागढ़ किले का पूरा नजारा मनमोहक दिखाई पड़ता है।


              भारत के सबसे पुराने किले 


Mehrangarh fort, Rajasthan

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

मेहरानगढ़ किला भारत के राजस्थान राज्य के जोधपुर पे स्थित है यह किला एक प्राचीन विशालकाय किला है जिसे जय पोल किला भी कहा जाता है।

इस किले का निर्माण राजा राव जोधा ने 1459 में करवाया था जोकि एक बुलंद पहाड़ी पर 150 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है।

मेहरानगढ़ किला पहाड़ी के बिल्कुल ऊपर बसे होने के कारण राजस्थान राज्य के सबसे खूबसूरत किलो में से एक है राव जोधा द्वारा सन 1459 में सामरिक दृष्टि से बनवाया गया यह किला प्राचीन कला वैभव शक्ति साहस त्याग और स्थापत्य का अनूठा नमूना है।

7 द्वारा ओर अनगिनत बुर्जों से जुड़ा हुआ 10 किलोमीटर लंबी ऊंची दीवार से घिरा है बाहर से अदृश्य घुमावदार सड़कों के द्वारा जुड़े इस किले के चार द्वार है।

एक भव्य महल जालीदार खिड़कियां अद्भुत नक्काशीदार दरवाजा और प्रेरित करने वाले नाम है।

इनमें से उत्कृष्ट हैं मोती महल, फूल महल, शीश महल, सिले खाना, दौलत खाना, आदि मौजूद है इसके अलावा पाल किया, हाथियों के हौदे, विभिन्न शैलियों के लघुचित्र, संगीत वाद्य, पोशाक ओर फर्नीचर का आश्चर्यजनक संग्रह भी मौजूद है।

प्राचीर की ऊंचाई 20 फुट से 120 फुट तक hai aur चौड़ाई 12 फुट से 70 फुट तक है यह किला कुल 1200 acre जमीन पर स्तिथ है परकोटे में दुर्गम मार्ग वाले साथ आरक्षित दुर्ग बने हुए हैं इस किले में कुल सात दरवाजे हैं जिनमें जयपाल गेट का भी समावेश है जिसे महाराज मायन सिंह ने जयपुर और बीकानेर की सेना पर मिली जीत के बाद 1806 इसमें बनाया था ओर फ़तेह पाल गेट का निर्माण महाराजा अजीत सिंह ने मुगलों पर जीत की याद में बनवाया था।

दुर्ग के भीतर राजप्रसाद स्थित है दुर्ग के भीतर सिलेह खाना, यानी शस्त्रागार, मोती महल, जवाहर खान, आदि मुख्य एमरते हैं किले के उत्तर की ओर ऊंची पहाड़ी पर थाडा नामक एक भवन हैं जो संगमरमर का बना है यह एक ऊंचे चबूतरे पर बना हुआ है।

या जोधपुर नरेश जसवंत सिंह के सहित कई राजाओं के समाधि स्थल बने हुए हैं जोधपुर की एक विशेषता यहां की कृत्रिम झीलों और हुए हैं जिनके अभाव में इस इलाके में नगर की कल्पना भी नहीं की जा सकती मेहरानगढ़ किले का एक कुंवा 135 मीटर गहरा है इस सारी व्यवस्था के बावजूद यहाँ जल का अभाव सदैव महसूस किया जाता था कहा जाता है कि इसके पीछे एक श्राब है।

 कीरत सिंह सोढ़ा एक योद्धा जो अम्बर की सेनाओं के खिलाफ किले की रक्षा करते हुए गिर गया था इसके सम्मान में यहां एक छतरी है छतरी एक गुंबद के आकार का मंडप है जो राजपूतों की समृद्ध संस्कृति में गर्व और सभी सम्मान व्यक्त करने के लिए बनाया गया।

मोती महल : किले का सबसे बड़ा कमरा मोती महल है अपने प्रजा से मिलने के लिए राजा सूर सिंह ने बनवाया था राजा की पांच रानियाँ यहाँ की कारवाही सुनसके उनके लिए यहाँ पे पांच छुपी बालकनी बनवाई गई थीं।

फूल महल : 18वीं सदी में राजा अभय सिंह ने फूल महल का निर्माण करवाया था फूल महल मेहरानगढ़ किले के विशालतम अवधि कमरों में से एक है यह महल राजा का निजी कक्ष है इसे फूलों के पैलेस के रूप में भी जाना जाता है इस महल के छत पे जो कारीगरी की गई है वो सोने(gold) से की गई है।

शीश महल : सुंदर शीशे के काम से सजा है आगंतुक महल में चित्रित धार्मिक आकृतियों को देखकर हैरान हो सकते हैं इसे शीशे के हाल के रूप में जाना जाता है एक तख़्त विला जिसे तख्त सिंह द्वारा बनवाया गया था।

 झांकी महल : का निर्माण रानियों के लिए किया गया था जो महल से बाहर की दुनिया देख सकें । इस महल में जालीदार पर्दे लगे थे ताकि जब वे बाहरी दुनिया देख रहे हों तो कोई उन्हें देख न सके। इस महल की एक विशेषता दर्पणों का स्थान था।

 खबका महल : सोता हुआ महल था जिसमें दीपक महल और चंदन महल नाम के दो कमरे हैं। दीपक महल का निर्माण जोधपुर के प्रधान मंत्री द्वारा किया गया था। चंदन महल वह कमरा था जहाँ राजा अपने मंत्रियों के साथ अपने राज्य के मामलों पर चर्चा करते थे।

लोग पोल : जो के किले का अंतिम द्वार है जो किले के परिसर के मुख्य भाग में बना हुआ है उसके बाएं तरफ रानियों के हाथों के निशान हैं जिन्होंने 1843 में अपने पति महाराजा मानसिंह के अंतिम संस्कार में खुद को कुर्बान कर दिया था।


Kumbhalgarh Fort, Rajasthan 

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

भारत के प्राचीन ओर खूबसूरत ऐतिहासिक किले

कुंभलगढ़ किला भारत के राजस्थान राज्य के राजसमंद जिले में स्थित है इस किले का इतिहास बेहद प्राचीन रहा है जिनके संबंध में कोई ऐतिहासिक दस्तावेज नहीं रहे हैं ऐसा माना जाता है कि मौर्य सम्राट अशोक के पुत्र सम्प्रति ने इस दुर्ग का निर्माण करवाया गया था।

कई आक्रमणों के चलते यह वेध्वस्त हो गया तथा राणा कुम्भा ने उन्हें अवशेषों पर 1443 में कुंभलगढ़ का निर्माण आरंभ करवाया जो 1458 ईश्व में बनकर तैयार हुआ और यह नागौर विजय के उपलक्ष्य में करवाया कुम्भा ने मेवाड़ के 84 दुर्गों में से बत्तीस बड़े दुर्गों का निर्माण करवाया थाय ह दुर्ग हेमकुंड पहाड़ी पर हाथी गुढ़ा नाल दवे के पास स्थित है।

समुद्रतल से 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होते हुए भी यह किला हरी भरी वादियों के कारण दूर से नजर नहीं आता यह अविजित दुर्गों की श्रेणी में आता है यह अरावली पर्वत की तेरह ऊंची चोटियों से सुरक्षित घिरा हुआ है।

कुम्भलगढ़ किला राजस्तान का दूसरा सबसे बड़ा किला है कुंभलगढ़ दुर्ग के चारों ओर 36 किलोमीटर लंबी और 7 मीटर चौड़ी दीवार है जो अंतर राष्ट्रीय रिकार्ड में दर्ज है यह चीन की महान दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी महान दीवार है इसलिए इसे भारत की महान दीवार भी कहा जाता है इसकी सुरक्षा दीवार इतनी चौड़ी है कि एक साथ आठ घुड़सवार चल सकते हैं।

कुंभलगढ़ किले पर चढ़ने के लिए गोल घुमावदार रास्ता से गुजरना पड़ता है ओर इसके कुल 9 दरवाजे पोरट पोल , हल्ला पोल , हनुमान पोल, विजय पोल, भैरब पोल, नींबू पोल, चौहान पोल, पागड़ा पोल, और गणेश पोल पड़ते हैं।

कुंभलगढ़ के भीतर ऊंचाई पर एक लघु दुर्ग हैं जिसे काटरगढ़ कहा जाता है यह गढ़ साथ विशाल दरवाजों और सुदृढ़ दीवार से सुरक्षित हैं कतार गढ़ में कुम्भा महल सबसे ऊपर सादगीपूर्ण हैं किले के भीतर कुंभा स्वामी का मंदिर, बादल महल, देवी का प्राचीन मंदिर झाली रानी का महल आदि प्रसिद्ध इमारतें हैं कुम्भलगढ़ के अंदर कुल 360 मन्दिर है जिनमे से 300 जैन मंदिर है।


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